आयुर्वेदा-आयुर्वेद के नाम में हमारे जीवन का सार छुपा हुआ है। यह एक संस्कृत शब्द है।
आयुर्वेदा दो शब्दों से मिलकर बना है।
आयुर और वेदा
परिभाषा-आयुर्वेद एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है जो भारतीय संस्कृति में बहुत प्रचलित है अर्थात जो शास्त्र जीवन का ज्ञान कराता है उसे आयुर्वेद कहते हैं!
तुलना(एलोपैथी vs आयुर्वेदा)- वैसे तो तुलना जैसा शब्द हमें नहीं इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि दोनों ही अपने आप मे बहुत सक्षम हैं। हम इन दोनों में किसी एक का ही पक्ष लें यह भी संभव नहीं है परंतु यदि हम चाहते हैं कि हमें कोई रोग जल्दी से ना लगे और हम किसी भी घातक बीमारी की चपेट में ना आए तो हमें आयुर्वेदा को अपने दैनिक जीवन में अपनाना होगा क्योंकि उसमें इतनी शक्ति है कि वह आपके शरीर को प्रत्येक घातक बीमारी से बचा सकता है
हमारी रसोई में बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में इस्तेमाल करें तो सदा स्वस्थ रहेंगे!
आयुर्वेदा का मतलब दवाइयों से नहीं है आयुर्वेदा का मतलब है हमारी देश की पद्धति से अथवा हमारी दैनिक जीवन की ऐसी वस्तुएं जिनका हमें सही तरीके से इस्तेमाल करना आना चाहिए तो शायद हम उनसे मिलने वाले फायदों का लुफ्त उठा सकेगें।
हमारी रसोई में मिलने वाले प्रत्येक मसाले का अपना अलग-अलग महत्व है जिनका यदि उपयुक्त मात्रा में इस्तेमाल किया जाए तो वह हमारे शरीर के लिए औषधि का कार्य करते हैं एक छोटा सा उदाहरण हल्दी का ही ले लेते हैं यहां पुराने समय में जब एलोपैथी नहीं थी तो कहीं चोट लगने पर हल्दी का ही इस्तेमाल किया जाता था तथा गुम चोट लगने पर हल्दी को दूध के साथ लिया जाता था जो कि एक बेहतरीन पेन किलर है और उसके साथ-साथ हमारे शरीर को ताकत भी प्रदान करता है
आज के समय में पुरानी पद्धति कहीं खो गई है हमारे आसपास एलोपैथी ने पैर पसार लिए हैं जो कि लोगों के शरीर को अंदर से खा रही है इसलिए जरूरी है कि हम अभी से संभल जाएं और अपने आहार में परिवर्तन लाकर एक स्वस्थ जीवन जीएं।
आयुर्वेदा को समझने के लिए हमें सबसे पहले अपने आसपास की खाने पीने की सभी वस्तुओं को समझना जरूरी है और उसमें सबसे पहले हमारी रसोई शामिल है तो चलिए आज कुछ शब्दों में बात करते हैं सबसे कॉमन वस्तु की जो भारत की 80% रसोई में मिल ही जाता है वह है सरसों का तेल
सरसों का तेल- सरसों का तेल हमारे घरों में ज्यादातर खाना पकाने में काम आता है जिसके अनेको फायदे हैं क्योंकि सरसों के तेल में 60% मोनोसैचुरेटेड फैट पाया जाता है जो कि हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है तथा 21% पोली सैचुरेटेड फैटी एसिड पाए जाते हैं जो कि ओमेगा-3 तथा ओमेगा-6 कहलाते हैं। 20% सैचुरेटेड फैट पाया जाता है।
आपको जानकर हैरानी होगी सरसों के तेल में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 की प्रचुर मात्रा होने के कारण यह हमारे दिल और दिमाग दोनों के लिए बहुत लाभदायक होता है।
इसमें हीलिंग प्रॉपर्टीज भी पाई जाती हैं जो हमारे कटे-फटे अंग को ठीक करने में सक्षम है आपने बचपन में दादा दादी को देखा होगा सर्दियों में होंठ फटने पर वह नाभि में सरसों का तेल भी लगाते थे जिससे होंठ सही ही नहीं बल्कि नरम भी हो जाते हैं तो उसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सरसों के तेल में कितनी ताकत है।
नोट- आजकल के दौर में मनुष्य विदेशी पद्धति की तरफ बढ़ता जा रहा है इसलिए ज्यादातर लोग सरसों के तेल की जगह ओलिव आयल की तरफ बढ़ रहे हैं जो कि एक अच्छा विकल्प भी है परंतु उसमें इतनी प्रॉपर्टीज नहीं होती है जो कि शरीर को अधिक लाभ पहुंचा सके। इसलिए आज कल मनुष्य को ओमेगा-3 टेबलेट के रूप में लेनी पड़ती है क्योंकि शरीर में उसकी पूर्ति नहीं हो पाती है।
निष्कर्ष- इसलिए मैं सभी से यही निवेदन करूंगी कि यदि आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो अपनी भारतीय पद्धति को अपनाना शुरू कर दें। योग और आयुर्वेदा को जिस मनुष्य ने अपने जीवन में अपना लिया उसे कभी कोई बीमारी नहीं छू सकती।
योग और आयुर्वेद में जो ताकत है वह दुनिया की किसी गोली में या महंगी से महंगी दवाई में भी नहीं है।
अब यह आप सबके ऊपर है कि आप किस पद्धति को अपनाना चाहेंगे उसे जो आपको अंदर से मजबूत करने के साथ-साथ आपको स्वस्थ रखेगी या उसे जो बस तभी तो आपको आराम देगी परंतु बाद में अंदर से खोखला कर देगी।
विचार- अब मैं अपने स्वतः विचारों की बात करूंगी मैं आयुर्वेदा को बहुत ज्यादा follow करती हूं और मेरी दृष्टि में एलोपैथी मानव निर्मित है और आयुर्वेदा प्राकृतिक है और मैं यह दावे के साथ कह सकती हूं कि प्राकृतिक वस्तुएं जो आपको सुख और शांति दे सकते हैं वह मानव निर्मित कभी नहीं दे सकते।
मेरी बातों पर विचार जरूर कीजिएगा ।
“धन्यवाद”
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